About Puja
श्री राधिका सहस्रनामस्तोत्र पाठ का उल्लेख श्रीनारद पाञ्चरात्र के ज्ञानामृतसार में प्राप्त होता है। श्री राधा साक्षात् भगवती स्वरूपा हैं तथा बृषभानु बाबा एवं कीर्ति माता की पुत्री के रूप में भगवान् श्रीकृष्ण एवं अपने भक्तों को रस प्रदान करने हेतु व्रजधाम में अवतीर्ण हुईं। श्री मद्भागवत महापुराण में श्री राधिका जी को भगवान कृष्ण की शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है। शक्ति स्वरूपा महारानी राधा को प्रेम का अवतार कहा जाता है। भगवती राधा स्तवन् से समस्त प्रकार के मनोरथों की सिद्धि अल्प समय में ही साधक को हो जाती है। इस स्तोत्र के पाठ से देवी राधा की कृपा साधक को प्राप्त होती है,तथा साधकों को भगवान् श्रीकृष्ण की अहैतुकी कृपा प्राप्त होती है अर्थात् श्री कृष्ण भगवान् के चरणों में भी साधक की प्रीति बढ़ती है। इस स्तोत्र के स्तवन् से धन, सम्पदा ऐश्वर्यादि की अभिवृद्धि होती है,तथा इसके पाठ के प्रभाव से दुःख, दारिद्र्य आदि से साधक निवृत्त हो जाता है। राधा नाम उच्चारण करने मात्र से ही ताप नष्ट हो जाते हैं और प्राणी शुद्ध हो जाता है। इस राधिका सहस्रनाम स्तोत्र में राधा जी के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है,जो अत्यन्त पुण्यदायक है।
Process
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।
स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
प्रतिज्ञा सङ्कल्प
गणपति गौरी पूजन
कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
षोडशमातृका पूजन
सप्तघृतमातृका पूजन
आयुष्यमन्त्रपाठ
सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
नवग्रह मण्डल पूजन
अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
रक्षाविधान
प्रधान देवता पूजन
पाठ विधान
विनियोग
करन्यास
हृदयादिन्यास
ध्यानम्
स्तोत्र पाठ
पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits
- राधिका सहस्रनामस्तोत्र पाठ के प्रभाव से वाक् सिद्धि(वाणी में ओज) प्राप्त होती है अर्थात् साधक की वाणी में प्रखरता आती है, तथा अष्टविध सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- इस स्तोत्र के स्तवन् से स्वर्ग, पाताल, पर्वत अथवा समुद्र आदि में भी शुभफल की प्राप्ति होती है।
- एकादशी तिथि को इसका पाठ करने से साधक (उपासक) को सर्वार्थ सिद्धि की प्राप्ति होती है।
- तुलसी के समीप पूर्णिमा या द्वादशी तिथि को स्तोत्र पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ के करने के समान फल की प्राप्ति होती है।
- इस स्तोत्र के स्तवन् से साधक को भगवान् श्री कृष्णचन्द्र की कृपा शीघ्र ही प्राप्त होती है।
- यह स्तोत्र महापातकों का विनाशक है।
- कुरुक्षेत्र आदि तीर्थों के सेवन का फल प्रदायक यह सहस्रनामस्तोत्र है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।