About Puja

        आद्यशक्ति माँ  जगदम्बा जिन्हें दुर्गा कहा जाता है, उनकी शक्ति अनिर्वचनीय एवं अवर्णनीय है। माँ जगत्‌जननी महामाया समस्त दुर्गो का भेदन करने के कारण दुर्गा नाम से जगत् में विख्यात हैं। दुर्ग का अर्थ है बाधा, माँ दुर्गा भक्तों की समस्त बाधाओं का भेदन करती हैं। देवी के अनन्त रूप हैं, लेकिन मार्कण्डेय ऋषि ने जब ब्रह्माजी से गोपनीय रहस्य के विषय में जानने की इच्छा की उस समय लोकस्रष्टा पितामह ब्रह्माजी ने शक्ति के नौ रूपों का श्रवण कराया जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी एवं सिद्धिदात्री, ये प्रमुख नौ रूपों सें माता दुर्गा भक्तों की अभिलाषाओं को पूर्ण करती हैं। इन नौ देवियों के साथ ही अन्य भी माता का स्वरूप है यथा-चामुण्डा, वाराही, ऐन्द्री, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, लक्ष्मी, ईश्वरी, ब्राह्मी, इस प्रकार सभी मातृशक्तियाँ समस्त योग शक्तियों से सम्पन्न हैं।

          देवताओं और असुरों के साथ घोर संग्राम हुआ। असुरों का स्वामी महिषासुर था। युद्ध मे देवताओं का पराजय हो गया और महिषासुर इन्द्र बन गया। सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु,चन्द्रमा आदि देवताओं का अधिकार छीन लिया। भगवान् विष्णु के साथ समस्त देवताओं का असह्य तेज  उत्पन्न हुआ, जो नारी के रूप में परिणत हो गया। देवताओं के तेज से देवी के विभिन्न अङ्गों का उद्भव हुआ तथा समस्त देवताओं ने देवी को विभिन्न आयुधों से विभूषित कर दिया। माँ दुर्गा ने अपने शक्ति से शत्रु सेनाओं का नाश किया । माँ दुर्गा के और भी रूप है, जो दस महाविद्या के नाम से विख्यात हैं। दुर्गासहस्रनाम कुलार्णव तन्त्र में प्राप्त होता है, जिसके पाठ का अ‌द्भुत माहात्म्य है।

Process

श्री दुर्गा सहस्रनाम पाठ अर्चन एवं हवन प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits

श्री दुर्गा सहस्रनाम पाठ का माहात्म्य :-

  • शास्त्र अनुज्ञा पूर्वक पाठ से शोक, दुःख और भय का नाश होता है।
  • भक्तिपूर्वक श्रद्धाभाव से सहस्रनाम पाठ निश्चय ही अभ्युदय की प्राप्ति कराता है।
  • जो व्यक्ति विषम सङ्कट में फँसा हो, भय से आतुर हो, शत्रुओं से घिरा हो, वह भगवती दुर्गा सहस्रनाम के अश्रय से मुक्त हो जाता है और समस्त सङ्कटों से रक्षा होती है।
  • सहस्रनाम पाठ से प्राणियों के पीड़ा का हरण होता है। 
  • देवी की आराधना से रूप, ऐश्वर्य, विजय तथा समाज में यश की प्राप्ति होती है।
  • यह स्तोत्र सम्पूर्ण सौभाग्य, प्रदायक, कामक्रोध आदि शत्रुओं का नाशक तथा सम्पूर्ण रोगों का शमन करने वाला है।
  • यह समस्त ऋद्धि एवं सिद्धि प्रदान करने वाला है।
  • देवालय, गङ्गातट, घर, गुरु की सन्निधि में यदि पाठ किया या कराया जाए तो विशेष फल प्राप्त होता है।
  • श्रद्धापूर्वक एवं विधि का आश्रय लेकर पाठ कराने वाले यजमान यशस्वी, विद्वान्,मेधावान् तथा लक्ष्मीवान् होते हैं।
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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About Puja

        आद्यशक्ति माँ  जगदम्बा जिन्हें दुर्गा कहा जाता है, उनकी शक्ति अनिर्वचनीय एवं अवर्णनीय है। माँ जगत्‌जननी महामाया समस्त दुर्गो का भेदन करने के कारण दुर्गा नाम से जगत् में विख्यात हैं। दुर्ग का अर्थ है बाधा, माँ दुर्गा भक्तों की समस्त बाधाओं का भेदन करती हैं। देवी के अनन्त रूप हैं, लेकिन मार्कण्डेय ऋषि ने जब ब्रह्माजी से गोपनीय रहस्य के विषय में जानने की इच्छा की उस समय लोकस्रष्टा पितामह ब्रह्माजी ने शक्ति के नौ रूपों का श्रवण कराया जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी एवं सिद्धिदात्री, ये प्रमुख नौ रूपों सें माता दुर्गा भक्तों की अभिलाषाओं को पूर्ण करती हैं। इन नौ देवियों के साथ ही अन्य भी माता का स्वरूप है यथा-चामुण्डा, वाराही, ऐन्द्री, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, लक्ष्मी, ईश्वरी, ब्राह्मी, इस प्रकार सभी मातृशक्तियाँ समस्त योग शक्तियों से सम्पन्न हैं।

          देवताओं और असुरों के साथ घोर संग्राम हुआ। असुरों का स्वामी महिषासुर था। युद्ध मे देवताओं का पराजय हो गया और महिषासुर इन्द्र बन गया। सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु,चन्द्रमा आदि देवताओं का अधिकार छीन लिया। भगवान् विष्णु के साथ समस्त देवताओं का असह्य तेज  उत्पन्न हुआ, जो नारी के रूप में परिणत हो गया। देवताओं के तेज से देवी के विभिन्न अङ्गों का उद्भव हुआ तथा समस्त देवताओं ने देवी को विभिन्न आयुधों से विभूषित कर दिया। माँ दुर्गा ने अपने शक्ति से शत्रु सेनाओं का नाश किया । माँ दुर्गा के और भी रूप है, जो दस महाविद्या के नाम से विख्यात हैं। दुर्गासहस्रनाम कुलार्णव तन्त्र में प्राप्त होता है, जिसके पाठ का अ‌द्भुत माहात्म्य है।

Process

श्री दुर्गा सहस्रनाम पाठ अर्चन एवं हवन प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits

श्री दुर्गा सहस्रनाम पाठ का माहात्म्य :-

  • शास्त्र अनुज्ञा पूर्वक पाठ से शोक, दुःख और भय का नाश होता है।
  • भक्तिपूर्वक श्रद्धाभाव से सहस्रनाम पाठ निश्चय ही अभ्युदय की प्राप्ति कराता है।
  • जो व्यक्ति विषम सङ्कट में फँसा हो, भय से आतुर हो, शत्रुओं से घिरा हो, वह भगवती दुर्गा सहस्रनाम के अश्रय से मुक्त हो जाता है और समस्त सङ्कटों से रक्षा होती है।
  • सहस्रनाम पाठ से प्राणियों के पीड़ा का हरण होता है। 
  • देवी की आराधना से रूप, ऐश्वर्य, विजय तथा समाज में यश की प्राप्ति होती है।
  • यह स्तोत्र सम्पूर्ण सौभाग्य, प्रदायक, कामक्रोध आदि शत्रुओं का नाशक तथा सम्पूर्ण रोगों का शमन करने वाला है।
  • यह समस्त ऋद्धि एवं सिद्धि प्रदान करने वाला है।
  • देवालय, गङ्गातट, घर, गुरु की सन्निधि में यदि पाठ किया या कराया जाए तो विशेष फल प्राप्त होता है।
  • श्रद्धापूर्वक एवं विधि का आश्रय लेकर पाठ कराने वाले यजमान यशस्वी, विद्वान्,मेधावान् तथा लक्ष्मीवान् होते हैं।

Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

No FAQs Available

श्री दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्र

श्री दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price : ₹ 7100 onwards
Price Range: 7100 to 15000

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