About Puja

          भगवान् शिव नित्य, अजन्मा, अनादि,अनन्त, निर्विकार एवं सर्वोपरि परात्पर तत्व हैं। भगवान् शिव का चरित्र उदात्त एवं अनुकम्पा पूर्ण है। परम ज्ञान एवं वैराग्य के प्रतिमूर्ति हैं। सूर्यचन्द्र नेत्र, स्वर्ग सिर, आकाश नाभि, एवं दिशाएँ कान हैं। जगत् में शिव समान दाता, तपस्वी, ज्ञानी, वक्ता, त्यागी, उपदेष्टा एवं ऐश्वर्यशाली कोई नहीं है। ये सदा सर्वदा परिपूर्ण हैं। शिव परिवार का बहुत विस्तार है। एकादश रुद्राणियाॅं, चौसठ योगिनियाॅं तथा भैरव आदि इनके सहचर और सहचरी हैं। माता पार्वती की सखि विजया हैं। भगवान् शिव देवताओं के उपास्य तो हैं हीं साथ ही उन्होनों अनेक असुरों अन्धक, दुन्दुभी, महिष, त्रिपुर, रावण निवातकवच आदि के भी उपास्य हैं तथा इनको भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया।

       कुबेर जी को यक्षों का स्वामित्व भगवान् शिव की कृपा से ही प्राप्त हुआ है। देवों के दुःख निस्तारण के लिए विष पान किया, जिसके कारण नीलकण्ठ कहलाये। शिव की महिमा अपार और अनन्त है। भगवान् शिव अनन्त रूपों से युक्त हैं। यथा-उमामहेश्वर, दक्षिणामूर्ति, पशुपति, कृत्तिवास, अर्धनारीश्वर आदि प्रसिद्ध हैं। ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा सद्योजात पञ्च स्वरुप तथा शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव ये अष्ट मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं। भगवान् शिव की पार्थिव पूजा के साथ ही पञ्चाक्षर तथा महामृत्युञ्जय मन्त्र अत्यन्त प्रसिद्ध है। सनातन परम्परा में भगवान् शिव का सहस्रनाम श्रेयस्कर सिद्ध होता है। यह सहस्रनाम भगवान् वेदव्यास कृत महाभारत के अनुशासन पर्व में उधृत है। जिसके, पाठ, अर्चन एवं हवन की विशेष महत्ता है।

Process

श्री शिव सहस्रनाम पाठ,अर्चन एवं हवन प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits

श्री शिव सहस्रनाम पाठ, अर्चन एवं हवन का माहात्म्य:-

  • शिवसहस्रनाम स्तोत्र को ब्रह्माजी ने स्वयं धारण किया था।
  • यह सहस्रनाम स्तोत्रपाठ समस्त पापों का विनाशक है। भगवान् शिव की सन्निधि में पाठ कराने से यजनकर्ता को मनोवान्छित फल की प्राप्ति होती है।
  • असाध्य रोगों की निवृत्ति तथा पूर्ण आयुकी प्राप्ति,इस स्तवन पाठ को वैदिक विधि से कराने के पश्चात् प्राप्त होता है।
  • पिशाच, दानव, यक्ष, राक्षस या अन्य कोई भी शिवोपासक या पाठ कर्ता का किसी भी प्रकार से अनिष्ट नहीं कर सकता।
  • शिवसहस्रनाम पाठ का फल अश्वमेध यज्ञ के तुल्य है। 
  • भगवान् शिव विद्या तथा ज्ञान के प्रदाता है, इस सहस्रनाम का पाठ, अर्चन एवं हवन से बुद्धि तथा ज्ञान का विकास होता है।
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा,
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहि
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • गोदुग्ध,गोदधि

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About Puja

          भगवान् शिव नित्य, अजन्मा, अनादि,अनन्त, निर्विकार एवं सर्वोपरि परात्पर तत्व हैं। भगवान् शिव का चरित्र उदात्त एवं अनुकम्पा पूर्ण है। परम ज्ञान एवं वैराग्य के प्रतिमूर्ति हैं। सूर्यचन्द्र नेत्र, स्वर्ग सिर, आकाश नाभि, एवं दिशाएँ कान हैं। जगत् में शिव समान दाता, तपस्वी, ज्ञानी, वक्ता, त्यागी, उपदेष्टा एवं ऐश्वर्यशाली कोई नहीं है। ये सदा सर्वदा परिपूर्ण हैं। शिव परिवार का बहुत विस्तार है। एकादश रुद्राणियाॅं, चौसठ योगिनियाॅं तथा भैरव आदि इनके सहचर और सहचरी हैं। माता पार्वती की सखि विजया हैं। भगवान् शिव देवताओं के उपास्य तो हैं हीं साथ ही उन्होनों अनेक असुरों अन्धक, दुन्दुभी, महिष, त्रिपुर, रावण निवातकवच आदि के भी उपास्य हैं तथा इनको भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया।

       कुबेर जी को यक्षों का स्वामित्व भगवान् शिव की कृपा से ही प्राप्त हुआ है। देवों के दुःख निस्तारण के लिए विष पान किया, जिसके कारण नीलकण्ठ कहलाये। शिव की महिमा अपार और अनन्त है। भगवान् शिव अनन्त रूपों से युक्त हैं। यथा-उमामहेश्वर, दक्षिणामूर्ति, पशुपति, कृत्तिवास, अर्धनारीश्वर आदि प्रसिद्ध हैं। ईशान, तत्पुरुष, वामदेव, अघोर तथा सद्योजात पञ्च स्वरुप तथा शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव ये अष्ट मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं। भगवान् शिव की पार्थिव पूजा के साथ ही पञ्चाक्षर तथा महामृत्युञ्जय मन्त्र अत्यन्त प्रसिद्ध है। सनातन परम्परा में भगवान् शिव का सहस्रनाम श्रेयस्कर सिद्ध होता है। यह सहस्रनाम भगवान् वेदव्यास कृत महाभारत के अनुशासन पर्व में उधृत है। जिसके, पाठ, अर्चन एवं हवन की विशेष महत्ता है।

Process

श्री शिव सहस्रनाम पाठ,अर्चन एवं हवन प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits

श्री शिव सहस्रनाम पाठ, अर्चन एवं हवन का माहात्म्य:-

  • शिवसहस्रनाम स्तोत्र को ब्रह्माजी ने स्वयं धारण किया था।
  • यह सहस्रनाम स्तोत्रपाठ समस्त पापों का विनाशक है। भगवान् शिव की सन्निधि में पाठ कराने से यजनकर्ता को मनोवान्छित फल की प्राप्ति होती है।
  • असाध्य रोगों की निवृत्ति तथा पूर्ण आयुकी प्राप्ति,इस स्तवन पाठ को वैदिक विधि से कराने के पश्चात् प्राप्त होता है।
  • पिशाच, दानव, यक्ष, राक्षस या अन्य कोई भी शिवोपासक या पाठ कर्ता का किसी भी प्रकार से अनिष्ट नहीं कर सकता।
  • शिवसहस्रनाम पाठ का फल अश्वमेध यज्ञ के तुल्य है। 
  • भगवान् शिव विद्या तथा ज्ञान के प्रदाता है, इस सहस्रनाम का पाठ, अर्चन एवं हवन से बुद्धि तथा ज्ञान का विकास होता है।

Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा,
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहि
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • गोदुग्ध,गोदधि

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श्रीशिव

श्री शिव सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price : ₹ 7100 onwards
Price Range: 7100 to 15000

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