About Puja
वरुण सूक्त, ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के 25 वें सूक्त को वरुणसूक्त के नाम से जाना जाता है। वरुण सूक्त में भगवान् वरुण की महिमा और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। इस सूक्त के ऋषि शुन:शेप, गायत्री छंद तथा वरुण देवता हैं। पुत्र प्राप्ति के हेतु राजा हरिश्चंद्र जो इक्ष्वाकुवंश हुए इन्होंने पुत्र प्राप्ति के निमित्त गुरु वशिष्ठ के वचनानुसार वरुण देव की उपासना की और वरुण देवता की कृपा से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। भगवान् वरुण न केवल जल के देवता हैं, बल्कि वे आकाशीय दृष्टि से समग्र ब्रह्मांड के संचालन के भी निमित्त माने जाते हैं। इस सूक्त का पाठ करने से कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति को निरंतर सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है। सर्वतया कल्याण की कामना करने वाले उपासक को भगवान् वरुण की उपासना श्रेयस्कर सिद्ध होती है।
Process
वरुण सूक्त पाठ एवं होम में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- जल संबंधी समस्याओं का समाधान :- यह पूजा जल से जुड़ी समस्याओं को हल करने में सहायक होती है। यदि घर में जल से संबंधित समस्या है, तो वरुण सूक्त पाठ के प्रभाव से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- संकटों से मुक्ति : इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के संकटों और समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करता है।
- सत्य और न्याय की प्राप्ति :- भगवान् वरुण को न्याय और सत्य का प्रतीक माना जाता है, और उनके आशीर्वाद से जीवन में सच्चाई और धर्म का पालन होता है।
- आध्यात्मिक शांति और संतुलन :- वरुण सूक्त पूजा मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन का साधन है। यह पूजा व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्रदान करती है।
- समृद्धि और सौभाग्य :- वरुण देवता के आशीर्वाद से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पूजा धन, सुख और समृद्धि को आकर्षित करने में सहायक होती है।
- भगवान् वरुण उपासक को आत्मिक सुख एवं बल प्रदान करते हैं।
- भगवान् वरुण शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं - इस सूक्त के पारायण या अनुष्ठान से उपासक की बुद्धि प्रखर एवं निर्मल होती है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।