About Puja
सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठातृ देवी हैं। सरस्वती रहस्योपनिषद् के अनुसार भगवती सरस्वती की उपासना से ब्रह्मज्ञान (शब्दज्ञान) की प्राप्ति होती है। महर्षि आश्वलायन ने सरस्वती के उपासना के द्वारा तत्वज्ञान प्राप्त किया था। सारस्वत सूक्त ऋग्वेद में समुपलब्ध होता है। इनका स्तवन, अर्चन वन्दन करने से विद्या प्राप्ति में आने वाले विघ्न नष्ट हो जाते हैं। जड़ता की समाप्ति के साथ ही बुद्धि तीव्र होती है। कुन्दपुष्प , तुषार (बर्फ) चन्द्रमण्डल के समान धवल वर्ण वाली माँ शारदा हैं, जो शुक्ल वस्त्रों से विभूषित हैं। मां सरस्वती के हस्तकमलों में वीणा एवं पुस्तक विभूषित हैं वे श्वेतकमल पर विराजमान हैं। ब्रह्मज्ञान की सार स्वरुपा माँ सरस्वती का रूप हैं। बुद्धि की मन्दता एवं जड़ता को नष्ट करने वाली हैं। इस प्रकार मां सरस्वती सद्बुद्धि प्रदान करने वाली देवी है।
Process
सरस्वती सूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान आदि
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
सरस्वती सूक्त पाठ एवं हवन का माहाम्य:-
- विद्यार्थियों की सुसुप्त (सोयी हुई) मेधा को प्रकट करने वाली भगवती सरस्वती का यह सूक्त है।
- परीक्षा में सफलता के इच्छुक छात्रों को सारस्वत सूक्त की आराधना या उपासना कराना आवश्यक होता है।
- श्रुति प्रतिपादित विधि से उपासना के द्वारा अष्टविध ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- सूक्त समाराधन (उपासना) से सन्तुष्ट सरस्वती देवी साधक (उपासक)की जीह्वा के अग्रभाग में विराजमान हो जाती हैं।
- प्रखर मेधा की प्राप्ति के लिए इन सूक्तों से सरस्वती देवी की आराधना अत्यन्त लाभप्रद है।
- वैदिक वाङ्मय में सरस्वती दशश्लोकी महामन्त्र के द्वारा स्तुति एवं जप करके महर्षि आश्वलायन ने पराविद्या (उत्कृष्ट विद्या) को प्राप्त किया।
- "यद्वाक्" यह देवी का बीज मन्त्र है। "देवीं वाचम्"यह शक्ति है। 'प्र णो देवी' यह कीलक है।
- श्रुतियों में भगवती सरस्वती को ब्रह्म की अद्वैत शक्ति कहा गया है।
- भगवती सरस्वती वर्ण, पद, वाक्य तथा इनके अर्थो के रूप में सर्वत्र व्याप्त हैं।
- वाणी के चार रूप हैं परा, पश्यन्ति, मध्यमा एवं वैखरी मनीषी इन सभी को जानते हैं परा पश्यन्ति और मध्यमा तो हृदय गुफा में स्थित है, अतएव ये तीनों प्रकट नहीं होती, चतुर्थ वाणी वैखरी को मनुष्य बोलते हैं।
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- पानी वाला नारियल
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- गोदुग्ध,गोदधि