About Puja
भूतेश्वर भगवान् शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्रसूक्त के पाठ का अनिर्वचनीय फलश्रुति है। भगवान् रुद्र जल-धारा से अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। "विद्याकामो गिरीशं " इस प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान् शङ्कर की आराधना एवं उपासना से श्रेष्ठ विद्याधन की प्राप्ति होती है और विद्याधन सभी धनों में श्रेष्ठ है। सभी देवों में शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव भगवान् शिव ही हैं, इसलिए इनको "आशुतोष " भी कहा जाता है, समस्त देवताओं के स्वामी होने से इनको महादेव भी कहते हैं। शत्रुओं का विनाश एवं भक्तों का कल्याण करने वाले भगवान् शिव हैं। जिस प्रकार सकल अन्धकार को दूर करने के लिए द्वादश आदित्य हैं, ठीक उसी प्रकार समस्त दु:खों को दूर करने के लिए एकादश रुद्र भी प्रसिद्ध हैं। रुद्र सूक्त में भगवान् शिव को नीलग्रीव अर्थात् नीलकण्ठ कहा गया है। फल की दृष्टि से रुद्रसूक्त का अपार महत्व है। इस रुद्र सूक्त का पाठ वेदनिष्णात ब्राह्मणो द्वारा विधि विधान से करने की परम्परा है।
Process
रुद्रसूक्त [शिवसूक्त,नीलसूक्त] पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान आदि
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
रुद्र सूक्त (शिव सूक्त) पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-
- भगवान् शिव की रुद्र सूक्त के मन्त्रों द्वारा उपासना एवं पाठ से त्रिविध ताप (आधिदैविक, आधिभौतिक, आध्यात्मिक) नष्ट होते हैं।
- रुद्र सूक्त के पाठ से विद्यार्थियों की बुद्धि निर्मल एवं सूक्ष्म विषय को ग्रहण करने वाली होती हैं।
- धनधान्य की वृद्धि करने वाले भगवान् शिव हैं, अतः इस पाठ को शास्त्रानुसार कराने से सम्पदा की वृद्धि होती है।
- रुद्र सूक्त के आराधन से निर्मल मन, निरोगी शरीर एवं उच्चपद की प्राप्ति होती है।
- रुद्र सूक्त के द्वारा भगवान् शिव से रक्षा करने के लिए प्रार्थना किया गया है।
- रुद्र सूक्त में भगवान् शिव को बारम्बार प्रणाम किया गया है,और अभिवादन से इस जगत् में दुर्लभतम वस्तुए भी सुलभ हो जाती हैं।
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री , घी ,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी , प्रणीता , सुवा, शुचि , स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- पानी वाला नारियल
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि