About Puja
सूर्य सूक्त, यजुर्वेद के 36वें अध्याय में वर्णित है। इस सूक्त को सूर्य उपासना का मुख्य स्रोत माना जाता है। इस सूक्त के ऋषि कुत्स- आङ्गिरस, देवता सूर्य तथा त्रिष्टुप् छन्द है। भगवान् सूर्यनारायण प्रत्यक्ष स्वरुप से जगत् में विद्यमान हैं। वेदों में भगवान् सूर्य को समस्त जगत् की आत्मा कहा गया है “सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च” । सूर्य शब्द का अर्थ है- सर्व प्रेरक अर्थात् सभी को प्रेरणा देने वाला। इस कारण सूर्य सर्व प्रकाशक,सर्व प्रवर्तक होने से कल्याणकारी है। यजुर्वेद में सूर्य को भगवान् का नेत्र माना है। ये द्युलोक पर मनुष्यों की बुद्धि को जागृत करने के साथ प्राणी मात्र को शुभ कर्मों की ओर प्रेरित करने वाले हैं, इसलिए भगवान् सूर्य की उपासना एनी उपासनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो साधक प्रतिदिन भगवान् सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं उन्हें सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है। भगवान् सूर्य अत्यंत कीर्ति और तेज सम्पन्न उषा देवी का अनुशरण करते हैं। अपने उदयकाल में ही प्राणी मात्र को कर्तव्य पथ पर चलने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इस सूक्त का पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने के लिए पाठ किया जाता है। सूर्य देवता के प्रति आस्था और भक्ति का प्रतीक है सूर्य सूक्त, जो सूर्य के दिव्य प्रभाव को जीवन में महसूस करने के लिए एक साधना है। इसके जाप से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होती है।
Process
सूर्य सूक्त पाठ में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा सङ्कल्प
- गणेश गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- स्वास्थ्य में सुधार :- सूर्य सूक्त का नियमित पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह विशेष रूप से आँखों की रोशनी और रक्त संचार को लाभ पहुंचाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- यह सूक्त व्यक्ति के आत्मिक और मानसिक स्थिति को शुद्ध करने में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
- धन और समृद्धि :- सूर्य देवता की उपासना आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए की जाती है। यह पूजा व्यवसाय और करियर में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।
- पारिवारिक शांति :- सूर्य पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि और पारिवारिक संबंधों में सुधार होता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा :- सूर्य सूक्त के जाप से समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है और उसके कार्यों में सम्मान की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति :- यह पूजा विशेष रूप से शारीरिक रोगों से मुक्ति प्रदान करने में सहायक मानी जाती है। सूर्य देवता की कृपा से जीवन में रोगों से छुटकारा मिलता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश :- यह पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और जीवन में सकारात्मकता लाती है।
- नेत्र सम्बन्धी रोग से निवृत्ति :- इस रोग की निवृत्ति के लिए भगवान् सूर्य की अर्चना करें ।
- ब्रह्मसदृश तेज की कामना वाले पुरुष को भी सूर्यसूक्त का पाठ विद्वान् ब्राह्मणों से कराना चाहिए।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।