About Puja

सनातन परम्परा में व्रतों, उपवासों और त्योहारों का अपना विशेष महत्त्व एवं प्रयोजन है, इसलिए समस्त सनातन धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण व्रतों,उपवासों और त्योहारों को श्रद्धापूर्वक संपन्न करते हैं। इन्हीं व्रतों में एक है शरद पूर्णिमा व्रत । यह व्रत आश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है जिसे शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। निशीथव्यापिनी रात्रि में यह व्रत किया जाता हैइसलिए भगवान् नारायण और भगवती लक्ष्मी की उपासना के निमित्त सर्वोत्तम यह व्रत है। इस रात में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और सम्पूर्ण जगत् पर अमृत वर्षा करता है। साधक खीर का प्रसाद बनाकर भगवान् चंद्रमा के समक्ष भोग अर्पित करते हैं।

भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना के साथ भगवान् श्रीकृष्ण और उनकी परम प्राणप्रिया श्री राधा रानी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। श्रीमद्भागवत् महापुराण के दशम स्कन्ध में वर्णित रासपञ्चाध्यायी का पाठ किया जाता है इस पाठ का फल अनन्त बतलाया गया है यह पाठ समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

पूजा की विधि –

यह दिन भगवान् श्रीकृष्ण के रासोत्सव का दिन होता है अत: भगवान् कृष्ण और उनकी ब्रज राजराजेश्वरी श्रीराधा रानी की विशेष कृपा के लिए यह उत्सव विधिवत् संपन्न किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना के अतिरिक्त रात्रिकाल में भगवान् को नैवेद्य में खीर का भोग अर्पित करते हैं। प्रात: नित्य क्रियाओं को संपन्न कर पूजन सम्बन्धित क्रियाओं का क्रियान्वयन करके जब चन्द्रमा पूर्ण हो (मध्य रात्रि) के आसपास पूजन - अर्चन श्रद्धापूर्वक करना चाहिये । शरतपूर्णिमा  पूजा में दुग्ध तथा दुग्ध से निर्मित खीर का विशिष्ट महत्व है। प्रसाद में खीर का भोग अवश्य लगायें

शरद पूर्णिमा व्रत पूजा का विशेष महत्व इस दिन के चंद्र दर्शन और उनकी पूजा में सन्निहित है। इस दिन स्वास्थ्य, धन, और सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पूजा और व्रत किया जाता है। इस पूजा में दूध, चावल, फल और जल की विशेष महिमा प्रतिपादित की गयी है, और ये तत्व चंद्रमा के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

भगवान् चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष रूप से मंत्र जप, आरती, नदी स्नान, और खीर का भोग चढ़ाने की परंपरा है। इसके साथ ही इस दिन को लेकर मान्यता है कि चंद्र देवता की पूजा से जीवन में प्रत्येक प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Process

शरद्पूर्णिमा व्रत और उपासना में प्रयोग होने वाली विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा-सङ्कल्प
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान

Benefits

शरद पूर्णिमा व्रत पूजा के कई लाभ होते हैं, जिनमें से प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं :-

  • स्वास्थ्य लाभ :- चंद्र देवता की पूजा से शरीर में शीतलता और संतुलन बना रहता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • धन और समृद्धि :- इस दिन चंद्र देवता की पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है, और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • आध्यात्मिक शांति :- चंद्र देवता की पूजा से आत्मा को शांति और शुद्धता प्राप्त होती है। यह पूजा मानसिक शांति और संतुलन के लिए आवश्यक है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति :- शरद पूर्णिमा के दिन भगवान् चंद्रमा की उपासना करने से मनुष्य की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में समृद्धि का वास होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: पूजा के बाद वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर में शांति और सुख का वातावरण बनता है।
  • पुत्र तथा पति की दीर्घायु के लिए स्त्रियाँ प्रार्थना करती हैं।
  • शरद् पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सम्पूर्ण वर्ष के तीर्थ स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।
  • रासपञ्चाध्यायी का पाठ करने से सभी कामनाओं की सिद्धि होती है तथा हृदय सम्बन्धी रोगी को निश्चित ही रासपञ्चाध्यायी का पाठ करना या कराना चाहिए।
Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।

नहीं, यह व्रत चंद्र देवता की पूजा और खीर बनाने की परंपरा से जुड़ा होता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी को अमृत तुल्य माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत सरल है। आप हमारी वेबसाइट पर पंजीकरण करके पंडितजी का चयन कर सकते हैं और पूजा का आयोजन करवा सकते हैं।

इस पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि आप व्रत रखते हैं तो पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।

हां, शरद पूर्णिमा पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है, जिससे धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

हां, पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह चंद्र देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।

About Puja

सनातन परम्परा में व्रतों, उपवासों और त्योहारों का अपना विशेष महत्त्व एवं प्रयोजन है, इसलिए समस्त सनातन धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण व्रतों,उपवासों और त्योहारों को श्रद्धापूर्वक संपन्न करते हैं। इन्हीं व्रतों में एक है शरद पूर्णिमा व्रत । यह व्रत आश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है जिसे शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। निशीथव्यापिनी रात्रि में यह व्रत किया जाता हैइसलिए भगवान् नारायण और भगवती लक्ष्मी की उपासना के निमित्त सर्वोत्तम यह व्रत है। इस रात में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और सम्पूर्ण जगत् पर अमृत वर्षा करता है। साधक खीर का प्रसाद बनाकर भगवान् चंद्रमा के समक्ष भोग अर्पित करते हैं।

भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना के साथ भगवान् श्रीकृष्ण और उनकी परम प्राणप्रिया श्री राधा रानी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। श्रीमद्भागवत् महापुराण के दशम स्कन्ध में वर्णित रासपञ्चाध्यायी का पाठ किया जाता है इस पाठ का फल अनन्त बतलाया गया है यह पाठ समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

पूजा की विधि –

यह दिन भगवान् श्रीकृष्ण के रासोत्सव का दिन होता है अत: भगवान् कृष्ण और उनकी ब्रज राजराजेश्वरी श्रीराधा रानी की विशेष कृपा के लिए यह उत्सव विधिवत् संपन्न किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना के अतिरिक्त रात्रिकाल में भगवान् को नैवेद्य में खीर का भोग अर्पित करते हैं। प्रात: नित्य क्रियाओं को संपन्न कर पूजन सम्बन्धित क्रियाओं का क्रियान्वयन करके जब चन्द्रमा पूर्ण हो (मध्य रात्रि) के आसपास पूजन - अर्चन श्रद्धापूर्वक करना चाहिये । शरतपूर्णिमा  पूजा में दुग्ध तथा दुग्ध से निर्मित खीर का विशिष्ट महत्व है। प्रसाद में खीर का भोग अवश्य लगायें

शरद पूर्णिमा व्रत पूजा का विशेष महत्व इस दिन के चंद्र दर्शन और उनकी पूजा में सन्निहित है। इस दिन स्वास्थ्य, धन, और सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पूजा और व्रत किया जाता है। इस पूजा में दूध, चावल, फल और जल की विशेष महिमा प्रतिपादित की गयी है, और ये तत्व चंद्रमा के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

भगवान् चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए इस दिन विशेष रूप से मंत्र जप, आरती, नदी स्नान, और खीर का भोग चढ़ाने की परंपरा है। इसके साथ ही इस दिन को लेकर मान्यता है कि चंद्र देवता की पूजा से जीवन में प्रत्येक प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Process

शरद्पूर्णिमा व्रत और उपासना में प्रयोग होने वाली विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. पूजा-सङ्कल्प
  3. गणेश गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान

Benefits

शरद पूर्णिमा व्रत पूजा के कई लाभ होते हैं, जिनमें से प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं :-

  • स्वास्थ्य लाभ :- चंद्र देवता की पूजा से शरीर में शीतलता और संतुलन बना रहता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • धन और समृद्धि :- इस दिन चंद्र देवता की पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है, और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • आध्यात्मिक शांति :- चंद्र देवता की पूजा से आत्मा को शांति और शुद्धता प्राप्त होती है। यह पूजा मानसिक शांति और संतुलन के लिए आवश्यक है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति :- शरद पूर्णिमा के दिन भगवान् चंद्रमा की उपासना करने से मनुष्य की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में समृद्धि का वास होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: पूजा के बाद वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर में शांति और सुख का वातावरण बनता है।
  • पुत्र तथा पति की दीर्घायु के लिए स्त्रियाँ प्रार्थना करती हैं।
  • शरद् पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सम्पूर्ण वर्ष के तीर्थ स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।
  • रासपञ्चाध्यायी का पाठ करने से सभी कामनाओं की सिद्धि होती है तथा हृदय सम्बन्धी रोगी को निश्चित ही रासपञ्चाध्यायी का पाठ करना या कराना चाहिए।

Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।

नहीं, यह व्रत चंद्र देवता की पूजा और खीर बनाने की परंपरा से जुड़ा होता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी को अमृत तुल्य माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

हां, सनातन पर पूजा बुक करना बहुत सरल है। आप हमारी वेबसाइट पर पंजीकरण करके पंडितजी का चयन कर सकते हैं और पूजा का आयोजन करवा सकते हैं।

इस पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन यदि आप व्रत रखते हैं तो पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।

हां, शरद पूर्णिमा पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है, जिससे धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

हां, पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह चंद्र देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।
No_images

शरत्पूर्णिमा व्रत उपासना

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

img img

पूजा, मुहूर्त या परामर्श के लिए हमसे जुड़ें

शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान या आध्यात्मिक समस्याओं पर विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करें।
हमारे अनुभवी पंडितों से जुड़ें।

whatsapp