About Puja
विद्या, शिक्षा, संगीत, कला और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी के स्वरुप में माता सरस्वती की उपासना की जाती है। माता की श्रद्धापूर्वक उपासना करने से अज्ञानी पुरुष भी अज्ञानरूपी अंधकार को त्यागकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त करता है। इनकी कृपा से ही अज्ञान का ह्रास और ज्ञान का विस्तार होता है । माता सरस्वती की उपासना के प्रभाव से महर्षि आश्वलायन को तत्वज्ञान की प्राप्ति हुई। वैसे तो माता की उपासना के लिए कोई निश्चित दिन नहीं है, किसी भी दिन यह पूजा सम्पादित की जा सकती है परन्तु विशेष तिथि पर आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है । “वसंत पंचमी” के दिन विशेष रूप से शिक्षण संस्थानों(स्कूल,कॉलेज,कार्यालय,कोचिंग संस्थान) में भगवती की उपासना की जाती है। माता सरस्वती की उपासना आठ स्वरूपों में की जाती है-वागीश्वरी, चित्रेश्वरी, कुलजा, कीर्तीश्वरी, अन्तरिक्ष- सरस्वती, घट-सरस्वती, किणि- सरस्वती। मातासरस्वती की उपासना करते हुए इन अष्टस्वरूपों का भी ध्यान,आवाहन और पूजन करना चाहिए।
सरस्वती पूजा के दौरान मुख्य रूप से देवी के आशीर्वाद से ज्ञान और विद्या में वृद्धि, बुद्धि का विस्तार, और कला में सफलता की कामना की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए शुभ होती है, क्योंकि यह उन्हें अपनी पढ़ाई में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
सरस्वती श्लोक:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
Process
सरस्वती पूजा में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा-सङ्कल्प
- गणेश गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
Benefits
- ज्ञान में वृद्धि :- यह पूजा विशेष रूप से विद्या और शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति और सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है।
- बुद्धि का विकास :- सरस्वती माता के आशीर्वाद से व्यक्ति की बुद्धि और सोचने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- कला और संगीत में सफलता :- यह पूजा संगीत, कला, और साहित्य से जुड़े लोगों के लिए बेहद लाभकारी होती है। इससे उनकी कला में निरंतर प्रगति होती है।
- विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभ :- यह पूजा विद्यार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। पूजा से पढ़ाई में मन लगता है और समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार :- सरस्वती पूजा से घर और परिवार में सकारात्मकता और शांति का वास होता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।