About Puja
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इच्छानुरूप फल प्राप्त करने के लिए हमारे धर्मग्रंथों में विभिन्न उपाय हैं, यथा-अनुष्ठान, जप, पाठ, हवन, तपस्या इत्यादि,इन सभी उपायों में जप की प्रधानता है और श्रद्धा एवं एकाग्रता पूर्वक जप आदि से जातक के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। वास्तव में मन्त्र ब्रह्मवत् होते हैं जिसके जप मात्र से जीवन में अमोघ प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि जातक को उसकी भक्ति और मन्त्र उच्चारण के समय उसके मन में कितनी श्रद्धा है, तदनुसार फल की प्राप्ति होती है।
जो माता-पिता सन्तान सुख की कामना रखते हैं, लेकिन किसी कारणवश वे इस सुख से वञ्चित हैं, ऐसे लोगों के लिए भी संतानप्राप्ति के विभिन्न उपाय शास्त्रगत् हैं, इनमें सबसे प्रभावशाली उपाय संतान गोपाल मंत्र ही है।
ऊँ क्लीं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
इस मन्त्र का वर्णन- सनत्कुमारसंहिता तथा मन्त्रमहोदधि में प्राप्त होता है। इस मन्त्र का विशेष दिव्य प्रभाव सहज ही दृष्टिगोचर होता है। भगवान् गोपाल (कृष्ण)को समर्पित यह मन्त्र अत्यन्त प्रभावी है। इस मन्त्र का विधिवत् जप अनुष्ठान करने अथवा कराने मात्र से ज्ञानवान्, विद्यावान् गुणवान्, मेधावान् सन्तान की प्राप्ति निश्चित ही होती है। लेकिन इस मन्त्र का जप करते समय जातक के मन में पूर्ण भक्ति तथा विशेष श्रद्धा मन्त्र के प्रति होनी चाहिए। क्योंकि इस मन्त्र का प्रभाव विशेष प्रभाव कर्ता की आस्था पर निर्भर करता है। सन्तान गोपाल मन्त्र का जप करते समय व्यक्ति को सात्विक आहार का ही व्यवहार रहना चाहिए। सन्तान गोपाल मन्त्र के देवता भगवान् कृष्ण ही हैं, जो सनातन वैदिक तथा पौराणिक देवों में अग्रगण्य हैं। सन्तान गोपाल मन्त्र के प्रभाव से सन्तानोत्पत्ति में आ रही समस्त बाधाओं का समूल नाश हो जाता है और उत्तमोत्तम गुणों से युक्त,संस्कारवान् तथा दीर्घायु सन्तति की प्राप्ति होती है।
Process
श्रीसन्तान गोपाल मन्त्रजप (अनुष्ठान) में होने वाले प्रयोग या विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
- मन्त्रजप विधान
- विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- सन्तान गोपाल मन्त्र जप
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits
श्रीसन्तान गोपाल मन्त्रजप (अनुष्ठान) का माहात्म्य :-
- जो नवदम्पत्ति सन्तान सुख की प्राप्ति चाहते हैं उनके लिए यह मन्त्रजप कराना अत्यन्त लाभकारी है।
- श्रद्धा और भक्तियुक्त होकर इस मन्त्र का जप कराने से सुंदर और मेधावान् संतान की प्राप्ति होती है।
- सन्तान सुख की प्राप्ति में आ रही बाधाओं का समूल नाश होता है।
- जिन माताओं को गर्भधारण करने में बार-बार समस्या आ रही है या फिर गर्भावस्था के दौरान ही जो माताएं अपने शिशु को खो देती हैं,उनके लिये यह मन्त्र विशेष उपयोगी सिद्ध होता है।
- गर्भवती माताओं को भी अपने गर्भ की रक्षा तथा कृष्ण सदृश सुन्दर, ज्ञानवान् , बुद्धिमान् पुत्र की इच्छा के लिए विद्वान् ब्राह्मणों के द्वारा इस मन्त्र का जप करना चाहिए।
- जो गुणवान् सन्तान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं,उनके लिये इस मन्त्र का जप ही सर्वोपरि है।
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- पानी वाला नारियल,
- तुलसी पत्र -7
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि