About Puja
भूतभावन भगवान् रूद्र (शिव) की प्रसन्नता के निमित्त रुद्रसूक्त का पाठ किया जाता है। रुद्रसूक्त के पाठ का फल अवर्णीय एवं अकाट्य है। यह सूक्त वेदों में विशेष रूप से भगवान् रूद्र के रौद्र स्वरूप की स्तुति करने वाला एक प्रार्थना शास्त्र है, जो भगवान् शिव के अनंत स्वरूपों का वर्णन करता है। इस सूक्त में भगवान् शिव के परम रौद्र रूप की महिमा का गायन करते हुए, उनके आशीर्वाद से संपूर्ण जीवन को निरोग, धन्य एवं समृद्ध बनाने की प्रार्थना की गयी है। रूद्र सूक्त का पाठ न केवल मानसिक शांति और ऊर्जा को बढ़ाता है, अपितु इसके प्रभाव से भगवान् शिव की कृपा कटाक्ष भी प्राप्त करता है ।
"विद्याकामो गिरीशं " इस मान्यता के अनुसार भगवान् शङ्कर की आराधना एवं उपासना करने से उत्तम विद्याधन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विद्याधन को सभी धनों में श्रेष्ठ बतलाया गया है। सभी देवतोंओं में शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव भगवान् शिव ही हैं, इसलिए इन्हें "आशुतोष "(आशु शीघ्रं तुष्यतिती- आशुतोष:) भी कहा जाता है। सभी देवताओं का स्वामी होने के कारण इन्हें महादेव भी खा जाता है। भगवान् शिव शत्रुओं का विनाश एवं भक्तों का कल्याण करने वाले हैं। जिस प्रकार अन्धकार को दूर करने के लिए द्वादश आदित्य हैं, ठीक उसी प्रकार सभी कष्टों को दूर करने के लिए एकादश रुद्र भी हैं। रुद्र सूक्त में भगवान् शिव को नीलग्रीव अर्थात् नीलकण्ठ कहकर संबोधित किया गया है। फलश्रुति की दृष्टि से रुद्रसूक्त का अवर्णीय महत्व है। इस रुद्र सूक्त का पाठ वेदज्ञ ब्राह्मणो द्वारा पूर्ण विधि विधान से संपन्न कराने की परम्परा है। रूद्र सूक्त के पाठ के साथ शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति का वास होता है।
Process
रूद्र सूक्त पाठ एवं होम में प्रयोग होने वाली विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
“रूद्र सूक्त” का पाठ और हवन करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं :-
- दुर्गति और संकटों से मुक्ति :- रूद्र सूक्त का पाठ व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संकटों से मुक्ति प्रदान करता है।
- भगवान् शिव का आशीर्वाद :- यह पूजा भगवान् शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है, जिससे जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
- सफलता और समृद्धि :- रूद्र सूक्त का पाठ व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, ऐश्वर्य और सफलता प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य और लंबी उम्र :- रूद्र सूक्त से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- यह पूजा मानसिक शांति, ध्यान और आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती है।
- किसी भी प्रकार के विघ्न और असमर्थता से मुक्ति :- जीवन में आने वाली कठिनाइयों और विघ्नों को समाप्त करने में रूद्र सूक्त की पूजा अत्यधिक प्रभावी है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।