About Puja
ऋग्वेद के दशम मण्डल का 127 वाँ सूक्त रात्रि सूक्त कहलाता है। यह सूक्त दिव्य एवं परमशक्तिशाली मन्त्रों का समूह है। इस सूक्त में आठ (08) ऋचाएं अर्थात् मन्त्र हैं। जिनमें भगवती रात्रि की महिमा का गुणगान किया गया है। यह सूक्त वेदों में वर्णित रात्रि देवी के अद्भुत स्वरूप उनकी शक्ति की विशिष्टता को दर्शाता है। देवी रात्रि जगत् में रहने वाले समस्त जीवों के शुभ और अशुभ कर्मों की साक्षी हैं एवं कर्मानुसार ही फल प्रदान करने वाली हैं। देवी रात्रि सम्पूर्ण संसार में व्याप्त हैं एवं अपनी प्रकाशमय ज्योति से सभी जीवों के अज्ञानरुपी अंधकार का नाश करने वाली हैं।
Process
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान आदि
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- मानसिक शांति (Mental Peace):
यह पूजा मानसिक शांति का एक उत्कृष्ट माध्यम है। रात्रि देवी की पूजा से व्यक्ति की मानसिक स्थिति स्थिर होती है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। - शारीरिक विश्राम (Physical Relaxation):
रात्रि सूक्त पूजा, शारीरिक थकान और तनाव को कम करने में सहायक होती है। इससे निद्रा स्थिति में सुधार होता है, जो शारीरिक विश्राम को बढ़ावा देता है। - नकारात्मक ऊर्जा का नाश (Removal of Negative Energy):
रात्रि सूक्त के उच्चारण से घर के नकारात्मक वातावरण को शुद्ध किया जाता है एवं सकारात्मकता का सन्निवेश किया जाता है । - आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual Growth):
यह पूजा आत्मिक उन्नति और दिव्य अनुभव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रात्रि देवी की आराधना से व्यक्ति के आत्मिक जीवन में सुधार आता है। - आर्थिक और पारिवारिक सुख (Financial & Family Well-being):
रात्रि देवी की पूजा से परिवार में सुख-शांति व्याप्त रहती है और आर्थिक समृद्धि की संभावना बढ़ती है। घर के सदस्य एक-दूसरे के प्रति सद्भावना रखते हैं, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।