About Puja

अथर्ववेद के बारहवें काण्ड के अंतर्गत् पृथ्वी सूक्त का वर्णन प्राप्त होता है। इस सूक्त के द्रष्टा ऋषि अथर्वा एवं मन्त्र 63 हैं, जिनमें भगवती पृथ्वी की महिमा का अवर्णीय वर्णन किया गया है। समस्त ब्रह्माण्ड में प्रत्येक जो जड्तत्व है वह चेतना के माध्यम से अधिष्ठित होता है। चेतना ही उसकी नियति एवं संचालक है। ऋषि अथर्वा द्वारा भगवती पृथ्वी के आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक स्वरुप का भी स्तवन किया गया है। पृथ्वी सूक्त में प्रकृति और जीवन के प्रत्येक पहलु को सर्वोत्तम स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। इस सूक्त का पाठ एवं विनियोग विभिन्न लौकिक तथा पारलौकिक लाभों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वैदिक सूक्तों में पृथ्वी को वेग एवं गतियुक्त संज्ञा से संबोधित किया गया है। सूक्त में वर्णित मन्त्र न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, अपितु एक जीवनदर्शन है, जो हमें पृथ्वी से संबंधित उचित आचार-व्यवहार और जिम्मेदारी का बोध कराते हैं।

Process

पृथ्वी सूक्त पाठ में  प्रयोग होने वाली विधि :-

  •  स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  •  पूजा सङ्कल्प
  •  गणेश - गौरी पूजन
  •  कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  •  पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  •  षोडशमातृका पूजन
  •  सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  •  नवग्रह मण्डल पूजन
  •  अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  •  पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  •  रक्षाविधान
  •  प्रधान देवता पूजन
  •  श्रीम‌द्भगवद्गीता सस्वर पाठ 
  •  पंचभूसंस्कार
  •  अग्नि स्थापन
  •  ब्रह्मा वरण 
  •  कुशकण्डिका
  •  आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  •  घृताहुति
  •  मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  •  भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  •  पवित्रप्रतिपत्ति
  •  संस्रवप्राशन 
  •  मार्जन
  •  पूर्णपात्र दान
  •  प्रणीता विमोक
  •  मार्जन 
  •  बर्हिहोम 
  •  पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि

Benefits
  1. समृद्धि और शांति :- पृथ्वी सूक्त का पाठ करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. प्राकृतिक संतुलन में सुधार :- यह पूजा पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे पर्यावरण में शुद्धता और उन्नति होती है।
  3. रोगों से मुक्ति :- यह पूजा व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति प्रदान करती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति :- पूजा के प्रभाव से व्यक्ति को आत्मिक शुद्धता प्राप्त होता  है और उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन होता है।
  5. वैयक्तिक कष्टों से राहत :- परिवार और व्यक्तिगत जीवन में उत्पन्न होने वाले तनावों और कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  6. आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार :- पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
  7. पृथ्वी माता का आशीर्वाद :- यह पूजा पृथ्वी माता के आशीर्वाद से जीवन में संतुलन और समृद्धि स्थापित करती है।
  8. इस सूक्त का विधिपूर्वक अनुष्ठान एवं पाठ साधक को षड्विध ऐश्वर्य प्रदान करता है
  9. इस सूक्त की साधना से उपासक में तेज एवं बल की वृद्धि होती है।
  10. शत्रुविजय के निमित्त पृथ्वी सूक्त के लिए इन मंत्रों का पाठ किया जाता  है।
  11. भूमि प्राप्ति ,भूमि विवाद एवं भूमि के क्रय-विक्रय (खरीदना-बेचना ) में यदि कोई बाधा उपस्थित हो रही है, तो इस अवस्था में पृथ्वी सूक्त का पाठ करने से वह बाधा भी नष्ट हो जाती है।
Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।

पृथ्वी सूक्त का पाठ विशेष रूप से शनिवार, रविवार, या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। परन्तु आप इसे किसी भी दिन भी कर सकते हैं।

हाँ, पूजा के लिए एक योग्य और अनुभवी पंडितजी के चयन की आवश्यकता होती है जो पृथ्वी सूक्त का सही उच्चारण कर सके और विधिपूर्वक पूजा सम्पन्न कर सके।

यह पूजा समृद्धि, शांति, और मानसिक संतुलन प्रदान करने में मदद करती है, घर के वातावरण को शुद्ध करती है और नकरात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है।

हां, पृथ्वी सूक्त पूजा से मानसिक, शारीरिक और वैचारिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

हाँ, सनातन आपके लिए योग्य पंडितों का चयन करता है और पूजा की समस्त प्रक्रिया को सरल, प्रामाणिक, और प्रभावशाली बनाने के लिए तत्पर रहता है।

About Puja

अथर्ववेद के बारहवें काण्ड के अंतर्गत् पृथ्वी सूक्त का वर्णन प्राप्त होता है। इस सूक्त के द्रष्टा ऋषि अथर्वा एवं मन्त्र 63 हैं, जिनमें भगवती पृथ्वी की महिमा का अवर्णीय वर्णन किया गया है। समस्त ब्रह्माण्ड में प्रत्येक जो जड्तत्व है वह चेतना के माध्यम से अधिष्ठित होता है। चेतना ही उसकी नियति एवं संचालक है। ऋषि अथर्वा द्वारा भगवती पृथ्वी के आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक स्वरुप का भी स्तवन किया गया है। पृथ्वी सूक्त में प्रकृति और जीवन के प्रत्येक पहलु को सर्वोत्तम स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। इस सूक्त का पाठ एवं विनियोग विभिन्न लौकिक तथा पारलौकिक लाभों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वैदिक सूक्तों में पृथ्वी को वेग एवं गतियुक्त संज्ञा से संबोधित किया गया है। सूक्त में वर्णित मन्त्र न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, अपितु एक जीवनदर्शन है, जो हमें पृथ्वी से संबंधित उचित आचार-व्यवहार और जिम्मेदारी का बोध कराते हैं।

Process

पृथ्वी सूक्त पाठ में  प्रयोग होने वाली विधि :-

  •  स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  •  पूजा सङ्कल्प
  •  गणेश - गौरी पूजन
  •  कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  •  पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  •  षोडशमातृका पूजन
  •  सप्तघृतमातृका पूजन
  • आयुष्यमन्त्रपाठ
  •  नवग्रह मण्डल पूजन
  •  अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  •  पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  •  रक्षाविधान
  •  प्रधान देवता पूजन
  •  श्रीम‌द्भगवद्गीता सस्वर पाठ 
  •  पंचभूसंस्कार
  •  अग्नि स्थापन
  •  ब्रह्मा वरण 
  •  कुशकण्डिका
  •  आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  •  घृताहुति
  •  मूलमन्त्र आहुति 
  •  चरुहोम
  •  भूरादि नौ आहुति
  •  स्विष्टकृत आहुति
  •  पवित्रप्रतिपत्ति
  •  संस्रवप्राशन 
  •  मार्जन
  •  पूर्णपात्र दान
  •  प्रणीता विमोक
  •  मार्जन 
  •  बर्हिहोम 
  •  पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि

Benefits
  1. समृद्धि और शांति :- पृथ्वी सूक्त का पाठ करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. प्राकृतिक संतुलन में सुधार :- यह पूजा पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे पर्यावरण में शुद्धता और उन्नति होती है।
  3. रोगों से मुक्ति :- यह पूजा व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति प्रदान करती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति :- पूजा के प्रभाव से व्यक्ति को आत्मिक शुद्धता प्राप्त होता  है और उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन होता है।
  5. वैयक्तिक कष्टों से राहत :- परिवार और व्यक्तिगत जीवन में उत्पन्न होने वाले तनावों और कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  6. आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार :- पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
  7. पृथ्वी माता का आशीर्वाद :- यह पूजा पृथ्वी माता के आशीर्वाद से जीवन में संतुलन और समृद्धि स्थापित करती है।
  8. इस सूक्त का विधिपूर्वक अनुष्ठान एवं पाठ साधक को षड्विध ऐश्वर्य प्रदान करता है
  9. इस सूक्त की साधना से उपासक में तेज एवं बल की वृद्धि होती है।
  10. शत्रुविजय के निमित्त पृथ्वी सूक्त के लिए इन मंत्रों का पाठ किया जाता  है।
  11. भूमि प्राप्ति ,भूमि विवाद एवं भूमि के क्रय-विक्रय (खरीदना-बेचना ) में यदि कोई बाधा उपस्थित हो रही है, तो इस अवस्था में पृथ्वी सूक्त का पाठ करने से वह बाधा भी नष्ट हो जाती है।

Puja Samagri

रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।

पृथ्वी सूक्त का पाठ विशेष रूप से शनिवार, रविवार, या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। परन्तु आप इसे किसी भी दिन भी कर सकते हैं।

हाँ, पूजा के लिए एक योग्य और अनुभवी पंडितजी के चयन की आवश्यकता होती है जो पृथ्वी सूक्त का सही उच्चारण कर सके और विधिपूर्वक पूजा सम्पन्न कर सके।

यह पूजा समृद्धि, शांति, और मानसिक संतुलन प्रदान करने में मदद करती है, घर के वातावरण को शुद्ध करती है और नकरात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है।

हां, पृथ्वी सूक्त पूजा से मानसिक, शारीरिक और वैचारिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

हाँ, सनातन आपके लिए योग्य पंडितों का चयन करता है और पूजा की समस्त प्रक्रिया को सरल, प्रामाणिक, और प्रभावशाली बनाने के लिए तत्पर रहता है।
पृथ्वीसूक्त

पृथ्वी सूक्त पाठ एवं होम

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : ₹ 3100 onwards
Price Range: 3100 to 0

img img

पूजा, मुहूर्त या परामर्श के लिए हमसे जुड़ें

शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान या आध्यात्मिक समस्याओं पर विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करें।
हमारे अनुभवी पंडितों से जुड़ें।

whatsapp