About Puja
मेधा सूक्त, वैदिक वांग्मय में वर्णित विभिन्न सूक्तों में से एक है जिसके पाठ के प्रभाव से साधक की मेधा में वृद्धि होती है एवं मेधा से संपन्न उपासक को ही मेधावी कहा जाता है। यह सूक्त, देवताओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए, व्यक्ति की मानसिक क्षमता को प्रखर करता है और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत बनाता है। मेधासूक्त यजुर्वेद के 32 वें अध्याय में वर्णित है जिसका पाठ मेधावृद्धि के निमित्त किया जाता है। मेधा शक्ति से अभिप्राय धारणाशक्ति,प्रज्ञा एवं बुद्धि से है। मेधा बुद्धि की एक विशेष शक्ति को कहा जाता है। इस सूक्त में मेधा की वृद्धि के लिए अग्नि, इन्द्र, वरुण, प्रजापति, वायु आदि देवताओं की स्तुति मन्त्रों के माध्यम से की गयी है।
Process
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान आदि
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
मेधा सूक्त का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:-
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि
मेधा सूक्त का नियमित पाठ व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि करता है। यह सूक्त मस्तिष्क को सक्रिय करता है, जिससे व्यक्ति के सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है। विद्यार्थी और शिक्षक विशेष रूप से इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि यह उनकी पढ़ाई और शिक्षा में सफलता के नए आयाम प्रदान करता है। - मनोबल में वृद्धि :-
मेधा सूक्त पाठ से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह मानसिक अवरोधों को दूर कर व्यक्ति के मनोबल को मजबूत बनाता है। इससे व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक आत्मविश्वास से कार्य करता है और किसी भी चुनौती का सामना दृढ़ता से करता है। - सकारात्मक ऊर्जा का संचार :-
मेधा सूक्त के पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन के प्रत्येक पहलू में लाभकारी सिद्ध होता है। यह व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से मुक्त करता है और उसे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है। - स्मरणशक्ति और एकाग्रता में सुधार
मेधा सूक्त का प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्तर पर होता है। यह व्यक्ति की स्मरणशक्ति और एकाग्रता में सुधार करता है। - सफलता और समृद्धि की प्राप्ति
यह सूक्त व्यक्ति को मानसिक स्पष्टता और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही, मेधा सूक्त का पाठ आर्थिक और व्यावसायिक समृद्धि में भी सहायक होता है। - मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य :- मेधा सूक्त का पाठ मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह व्यक्ति को तनाव, चिंता, और अवसाद से दूर रखता है और उसे मानसिक शांति प्रदान करता है।
- व्यक्तित्व विकास :-
मेधा सूक्त का नियमित उच्चारण व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी सकारात्मक बदलाव लाता है। यह व्यक्ति को संतुलित, विचारशील और समझदार बनाता है। इसके कारण व्यक्ति की सामाजिक और व्यक्तिगत रिश्तों में भी सुधार होता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।