About Puja
संस्कृत वांग्मयशास्त्र में भगवान् इन्द्र को मघवा, विडोजा, पाकशासन , शचीपति , शक्र, देवराज आदि अनेकों नामों से संबोधित किया गया है। भगवान् इन्द्र का यह इन्द्र सूक्त, ऋग्वेद के महत्वपूर्ण अध्याय से लिया गया है, इस सूक्त में भगवान् इन्द्र के दिव्य गुणों की प्रशंसा की गयी है। इन्द्र सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ हैं ,देवता इन्द्र तथा छन्द त्रिष्टुप है। इस सूक्त में भगवान् इन्द्र का स्वरूप अत्यंत स्वर्णिम तथा अरुण के सदृश बतलाया गया है। यह सूक्त भगवान् इन्द्र की महिमा का उद्घोष करता है और उनसे वर्षा, सुरक्षा और सुख-समृद्धि की कामना के निमित्त प्रार्थना करता है। इन्द्र देवता को महाकाय, शक्तिशाली और सर्वशक्तिमान भी माना जाता है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सूक्त अत्यंत प्रभावी माना जाता है। अन्य देवों की अपेक्षा भगवान् इन्द्र का विशद् वर्णन वेदों में प्राप्त होता है।
Process
इन्द्र सूक्त पाठ में प्रयोग होने वाली विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा सङ्कल्प
- गणेश - गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- श्रीमद्भगवद्गीता सस्वर पाठ
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- सुरक्षा और रक्षा :- यह पूजा विशेष रूप से सुरक्षा प्रदान करने के लिए जानी जाती है। भगवान् इन्द्र के आशीर्वाद से उपासक को सभी प्रकार के संकट और भय से मुक्ति प्राप्त होती है।
- वर्षा और समृद्धि :- यदि अधिक शुष्कता आ गयी है तो इस पूजा से वर्षा में भी वृद्धि होती है, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शक्ति और साहस :- यह पूजा व्यक्ति में आंतरिक शक्ति और साहस का संचार करती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना साहस के साथ कर सकता है।
- मनोकामना पूर्ति :- इन्द्र सूक्त के पाठ से जीवन की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं, और व्यक्ति को सुख-शांति का अनुभव होता है।
- कष्ट एवं रोगों से मुक्ति :- यह पूजा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है और रोगों से मुक्ति प्रदान करती है।
Puja Samagri
रोरोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।