About Puja
ऋग्वेद में लगभग 200 सूक्तों के द्वारा भगवान् अग्निदेव का स्तवन किया गया है। अग्नि सूक्त, ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 1.1 से 1.3 तक के सूक्तों का हिस्सा है। 'अग्निसूक्त के ऋषि मधुच्छन्दा', छन्द गायत्री तथा देवता अग्नि हैं। ऋग्वेद के प्रारम्भ में ही अग्निसुक्त के माध्यम से अग्नि की महिमा का वर्णन किया गया है इस आधार पर हम यह जान सकते हैं की “अग्नि सूक्त” प्राणियों के अत्यधिक् महत्वपूर्ण है। हवन यज्ञ के माध्यम से देवी-देवताओं को हविष्यान्न प्रदान करने वाले अग्निदेव हैं। अग्नि को मनुष्यों का ही नहीं अपितु देवताओं का भी उपकार करने वाला माना गया है। सामवेद के अंतर्गत् भी अग्निदेव की स्तुति का वर्णन हमें प्राप्त होता है। वेदों में अग्नि के दिव्य स्वरूप, उसकी ऊर्जा और उसकी शक्ति का वर्णन किया गया है। अग्नि को देवताओं का रक्षक और मनुष्यों का संरक्षक माना जाता है। यह सूक्त उस अग्नि देवता की स्तुति करता है, जो न केवल देवताओं तक यज्ञ सामग्री पहुँचाता है, बल्कि पृथ्वी पर सभी जीवों को शुद्ध और सुखी बनाने में सहायक होता है। अग्नि सूक्त का उच्चारण व्यक्ति के जीवन में आंतरिक शक्ति, समृद्धि और सामाजिक सम्मान की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
Process
अग्नि सूक्त पाठ में प्रयोग होने वाली विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा सङ्कल्प
- गणेश - गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- श्रीमद्भगवद्गीता सस्वर पाठ
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Benefits
- शारीरिक शुद्धता :- अग्नि देवता की उपासना से शारीरिक रोगों और विकारों से मुक्ति मिलती है। यह शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति :- यह सूक्त मानसिक अशांति और तनाव को समाप्त करता है। इससे व्यक्ति के मन को शांति और संतुलन मिलता है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- अग्नि सूक्त के जाप से व्यक्ति आत्मिक शुद्धिकरण होता है, जो उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
- धन और समृद्धि :- यह पूजा व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, आर्थिक लाभ और व्यवसायिक सफलता की प्राप्ति में सहायक होती है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा :- अग्नि देवता की पूजा से समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान में वृद्धि होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश :- अग्नि का स्वरूप पवित्र और शुद्ध करने वाला होता है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सुरक्षा और रक्षा :- अग्नि देवता की पूजा से व्यक्ति को सभी प्रकार की बाहरी और आंतरिकरूप से सुरक्षा मिलती है।
- अग्नि की उपासना करने से सन्तति (संतान ) की प्राप्ति होती है।
- अग्नि सूक्त के विधिवत् पारायण से मनुष्य के शरीर में तेज का संचार होता है।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।