About Puja
गर्भाधान संस्कार के अनन्तर पुंसवन संस्कार का क्रम आता है। यह संस्कार जन्म से पूर्व का संस्कार है,जो शास्त्रीय पद्धति से वेदज्ञ ब्राह्मणों द्वारा कराया जाता है। गर्भाधान संस्कार के अनन्तर स्त्री को सावधानीपूर्वक नियमों का पालन करना चाहिए, क्योंकि तीसरे या चौथे माह में गर्भ स्रवित होने का भय रहता है, इसलिए विशेष रूप से गर्भरक्षा के लिए पुंसवन तथा सीमन्तोन्नयन संस्कार का विधान है। चार महीने तक गर्भ में स्त्री-पुरुष का भेद नहीं होता, अतः स्त्री पुरुष के चिन्ह आने से पहले ही यह संस्कार किया जाता है। कुछ आचार्यों का कथन है कि इस संस्कार से पुरुष के शरीर का निर्माण होता है अतः जिस कर्म से पुरुष (पुत्र) का जन्म हो उस संस्कार का नाम पुंसवन है। पुत्र की सार्थकता यही है कि माता-पिता की आज्ञा का पालन करे, और मृत्यु के पश्चात पिंडदान एवं ब्राह्मण भोजन कराए।
पुंसवन संस्कार का समय- गर्भाधान संस्कार के तीसरे या चौथे महीने में अथवा गर्भ के प्रतीत होने पर यह संस्कार किया जाता है।
Process
पुंसवन संस्कार में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमात्रिका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिक श्राद्ध)
- नवग्रहमण्डल आवाहन एवं पूजन
- अधिदेवता प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तुपुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- आसेचन मन्त्र प्रयोग
- गर्भ अभिमन्त्रण एवं अभिषेक
- आरती आदि.......
Benefits
पुंसवन संस्कार का माहात्म्य:-
- शास्त्रविधि पूर्वक पुंसवन संस्कार कराने से गर्भस्राव का भय नहीं रहता।
- गर्भस्थ शिशु हृष्ट पुष्ट होता है और किसी भी प्रकार की बाधा उस शिशु का अनिष्ट नहीं करती।
- वीर्यवान् एवं ओजस्वी शिशु की प्राप्ति होती है।
- सर्वविध गर्भस्थ शिशु की रक्षा होती है।
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- पानी वाला नारियल
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि