About Puja
“अमोघ शिव कवच” का वर्णन श्रीस्कन्द पुराण के ब्रह्मोत्तरखण्ड में वर्णित है । यह कवच अत्यंत शक्तिशाली, गोपनीय, समस्त पापों का नाश करने वाला, समस्त विपत्तियों का नाश करने वाला एवं सर्वत्र विजय प्रदान करने वाला रक्षा कवच है, जो भगवान् शिव के उपासकों को प्रत्येक नकारात्मक उर्जा और संकटों से रक्षा प्रदान करता है। वैसे तो प्रत्येक मनुष्य को यह पाठ करना चाहिए परन्तु विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक लाभकारी है जो जीवन में किन्हीं अकल्पनीय कष्टों, मानसिक अशांति या शारीरिक रोगों से ग्रस्त हैं।
इस कवच पाठ के प्रभाव से अल्पआयु को प्राप्त या किसी विशेष रोग (कष्ट) से संक्रमित उपासक शीघ्र ही स्वस्थ हो जाता है और भगवान् शिव की शरणागति प्राप्त करता है । इस कवच का पाठ भगवान् शिव के दिव्य स्वरूप की आराधना करते हुए, भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संकटों से मुक्ति प्रदान करना है। शिव के इस शक्तिशाली पाठ को करने से व्यक्ति को असमर्थता से लेकर आत्मबल तक की अनुभूति होती है।
Process
अमोघ शिव कवच पाठ में प्रयोग होने वाली विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- पूजा-सङ्कल्प
- गणेश गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश, मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Benefits
- सुरक्षा और रक्षा :- यह पूजा शारीरिक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करती है। जिस व्यक्ति के निमित्त संकल्प लेकर यह पाठ किया जाता है उसकी भगवान् शिव स्वयं ढाल बनकर रक्षा करते हैं ।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश :- शिव अमोघ कवच के पाठ से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और शुद्ध सकारात्मकता का प्रवाह होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति :- इसके प्रभाव से व्यक्ति की आत्मिक उन्नति और शांति के लिए लाभकारी माना जाता है।
- शक्ति और आत्मबल का संचार :- यह पूजा व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है, जिससे वह जीवन के किसी भी संकट का सामना कर सकता है।
- धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद :- भगवान् शिव के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि का वास तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- अमोघ शिव कवच के प्रभाव से साधक के चारों ओर अदृश्य रक्षा कवच का निर्माण हो जाता है जो साधक की सर्विद्ध रक्षा करता है ।
- विद्या प्राप्ति :- यदि विद्या प्राप्ति की कामना से इसका पाठ किया जाये तो अवश्य विद्यार्थी विद्यावान तथा प्रज्ञावान होता है ।
Puja Samagri
रोली, कलावा, सिन्दूर, लवङ्ग, इलाइची, सुपारी , हल्दी, अबीर ,गुलाल, अभ्रक ,गङ्गाजल, गुलाबजल ,इत्र, शहद ,धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई ,यज्ञोपवीत, पीला सरसों ,देशी घी, कपूर ,माचिस, जौ ,दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा , सफेद चन्दन, लाल चन्दन ,अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला ,चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, सर्वोषधि, पञ्चरत्न, मिश्री ,पीला कपड़ा सूती,काला तिल, चावल, कमलगट्टा,हवन सामग्री, घी,गुग्गुल, गुड़ (बूरा या शक्कर), पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़, काला उडद , हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच , नवग्रह समिधा, हवन समिधा , घृत पात्र, कुश, वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1, गाय का दूध - 100ML, दही - 50ML, मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार, फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ), दूर्वादल (घास ) - 1मुठ, पान का पत्ता – 05, पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg, पुष्पमाला -5( विभिन्न प्रकार का), आम का पल्लव – 2, थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि , अखण्ड दीपक -1, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित , पानी वाला नारियल, देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि , बैठने हेतु दरी,चादर,आसन , गोदुग्ध,गोदधि ।